वैदिक ज्योतिष में रत्नों का उपयोग: ग्रहों की शांति का अद्भुत तरीका
भारतीय संस्कृति में ज्योतिष एक प्राचीन विज्ञान है, जिसमें ग्रहों की गतिविधियों का अध्ययन किया जाता है। ज्योतिष शास्त्र में, ग्रहों के आलोक में विभिन्न रत्नों का महत्वपूर्ण स्थान है। यह माना जाता है कि अगर किसी का कुंडली में किसी ग्रह की स्थिति अशुभ हो, तो उस ग्रह के नियंत्रण के लिए उस ग्रह के संबंधित रत्न का धारण करना लाभकारी हो सकता है।
रत्नों का व्यापक उपयोग वैदिक ज्योतिष में एक प्राचीन और प्रमुख उपाय के रूप में माना जाता है। यहां हम कुछ प्रमुख रत्नों के उपयोग के बारे में विस्तार से जानेंगे।
माणिक्य (Ruby)
माणिक्य को सूर्य के रत्न के रूप में माना जाता है और इसका धारणा सूर्य के दोषों को दूर करने में मदद कर सकता है। यह उस व्यक्ति को शक्तिशाली बना सकता है जिसका सूर्य कुंडली में अशुभ है। माणिक्य के पहनावे से व्यक्ति को स्वास्थ्य, सम्मान, और समृद्धि में सुधार मिल सकता है।
मोती (Pearl)
मोती को चंद्रमा का रत्न माना जाता है। चंद्रमा की अनुकूलता के लिए मोती का धारणा किया जाता है। यह रत्न चिंगारी और प्रेम को बढ़ावा देता है, जो जीवन के हर क्षेत्र में समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण होता है।
मनिक्य (Ruby)
मनिक्य को मंगल का रत्न कहा जाता है। मंगल का प्रभाव विभिन्न आंगिक समस्याओं के लिए हो सकता है, लेकिन मनिक्य के पहनावे से इसकी दशा को सुधारा जा सकता है। यह रत्न व्यक्ति को शौर्य, साहस, और स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है।
पुखराज (Yellow Sapphire)
पुखराज को गुरु का रत्न कहा जाता है और इसका धारणा बुध के दोषों को दूर करने में मदद कर सकता है। यह रत्न धार्मिकता, बुद्धि, और समृद्धि के लिए भी लाभकारी होता है।
नीलम (Blue Sapphire)
नीलम को शनि का रत्न माना जाता है और इसका धारणा शनि के दोषों को दूर करने में मदद कर सकता है। यह रत्न व्यक्ति को धैर्य, संयम, और न्याय के लिए समर्थ बना सकता है।
रत्नों का उपयोग ज्योतिष में एक प्रमुख उपाय के रूप में माना जाता है, लेकिन इसे सिद्ध और अध्यात्मिक दृष्टि से भी देखा जाता है। रत्नों का उपयोग करके, व्यक्ति अपनी कुंडली में अशुभ ग्रहों का प्रभाव कम कर सकता है और जीवन को समृद्धि, सुख, और शांति से भर सकता है।